अप्रतिहस्तांतरणीय | Irrevocable Clause in the Trust Deed in Hindi

 

 

 

अप्रतिहस्तांतरणीय (Irrevocable) धारा: एक विस्तृत विश्लेषण

नमस्कार मित्रों! आज हम सार्वजनिक धार्मिक न्यासों में अप्रतिहस्तांतरणीय (Irrevocable) धारा के बारे में चर्चा करेंगे। यह धारा न्यास और न्यास की संपत्ति की स्थायी प्रकृति को सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण है।

अप्रतिहस्तांतरणीय धारा क्या है?

अप्रतिहस्तांतरणीय धारा एक कानूनी प्रावधान है जो यह घोषित करता है कि एक बार किसी संपत्ति को किसी न्यास को दान करने के बाद, वह संपत्ति वापस दानदाता के पास नहीं जा सकतीइसका अर्थ है कि दानदाता न्यास की संपत्ति पर अपना स्वामित्व खो देता है

अप्रतिहस्तांतरणीय धारा का महत्व:

अप्रतिहस्तांतरणीय धारा के निम्नलिखित महत्व हैं:

  • यह न्यास को अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने में मदद करता है।
  • यह न्यास को अपने उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करता है।
  • यह दानदाताओं को यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि उनका दान चैरिटेबल कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा।

अप्रतिहस्तांतरणीय धारा के प्रावधान:

अप्रतिहस्तांतरणीय धारा के निम्नलिखित प्रावधान हो सकते हैं:

  • एक बार ट्रस्ट को दान किए जाने के बाद इस ट्रस्ट की संपत्ति पर ट्रस्ट के लेखक का अधिकार नहीं रहेगा।
  • ट्रस्ट के लेखक द्वारा इस ट्रस्ट की संपत्ति को स्वयं के उपयोग में नहीं लिया जा सकेगा।
  • ट्रस्ट की संपत्ति चैरिटेबल कार्यों के उपयोग के लिए होगी।
  • संपत्ति ट्रस्ट को ट्रांसफर होने के बाद वापिस नहीं होगी।
  • कोई भी व्यक्ति चाहे वो ट्रस्ट का लेखक हो या ट्रस्टी या ट्रस्ट का कर्मचारी या ट्रस्ट का दान दाता, एक बार जो भी धन / संपत्ति / रकम या अन्य किसी भी प्रकार का दान जो भी ट्रस्ट को दिया जावे ट्रस्ट की अप्रतिहस्तांतरणीय संपत्ति होगा।
  • देने वाले का उस पर कोई अधिकार नहीं होगा।
  • किसी भी प्रकार से प्राप्त दान का उपयोग चैरिटेबल कार्यों के लिए ही किया जावेगा।

निष्कर्ष:

सार्वजनिक धार्मिक न्यासों के लिए अप्रतिहस्तांतरणीय (Irrevocable) धारा महत्वपूर्ण है। यह धारा न्यास को अपनी संपत्ति को सुरक्षित रखने और अपने उद्देश्यों को पूरा करने में मदद करती है। यह दानदाताओं को यह सुनिश्चित करने में भी मदद करती है कि उनका दान चैरिटेबल कार्यों के लिए उपयोग किया जाएगा।

यह ब्लॉग पोस्ट उन लोगों के लिए एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करता है जो सार्वजनिक धार्मिक न्यासों के गठन और संचालन में शामिल हैं। यदि आपके कोई और प्रश्न हैं, तो कृपया बेझिझक टिप्पणी करें।

 

यह भी देखें :-

  1. मुख्य पृष्ठ
  2. ट्रस्ट का नाम
  3. ट्रस्ट का  पता  / प्रधान कार्यालय
  4. ट्रस्ट की शाखाये
  5. ट्रस्ट का  कार्यक्षेत्र
  6. न्यास / ट्रस्ट के निर्माता / संस्थापक / न्यासकर्ता
  7. न्यास / ट्रस्ट का स्वरुप
  8. ट्रस्ट के लाभार्थी (Beneficiary)
  9. ट्रस्ट के ट्रस्टी
  10. ट्रस्ट के उद्देश्य – objectives
  11. न्यास का प्रबंध / प्रबंध कारिणी समिति / मैनेजमेंट कमिटी management committee
  12. ट्रस्ट का वित्तीय प्रबंधन
  13. न्यास की सभायें (Meetings)
  14. साधारण सदस्य
  15. न्यास के अन्य नियम
  16. न्यास के विधान, में संशोधन, परिवर्धन एवं परविर्तन – Amendments, additions and deletion in the trust deed
  17. न्यास की स्थापना – Initial works of trust
  18. अप्रतिहस्तांतरणीय – Irrevocable clause
  19. न्यास का समापन (Dissolution)
  20. अंतिम हस्ताक्षर
  21. जनरल नॉलेज

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