Nyaas ki karya karini
न्यास की कार्य कारीणी में निम्न पद होंगे |
(1) अध्यक्ष
(2) उपाध्यक्ष
(3) कोषाध्यक्ष
(4) मंत्री
(5) सहमंत्री
अध्यक्ष का चुनाव नहीं होगा | इस ट्रस्ट के लेखक / प्रथम ट्रस्टी / प्रबंध निदेशक श्री j k l m इस ट्रस्ट के आजीवन अध्यक्ष होंगे | उनके उत्तराधिकार के नियम इस ट्रस्ट डीड में अन्यत्र लिखे गए हैं | अध्यक्ष के अतिरिक्त अन्य चारों पदों की जिम्मेदारी ट्रस्टी आपसी सहमति आपस में वितरित करेंगे या आपस में चुनाव करेंगे या अध्यक्ष के दिशा निर्देशों के अनुसार यह जिम्मेदारियां दी जावेंगी | इस सन्दर्भ में अध्यक्ष का निर्णय अंतिम एवं सर्वमान्य होगा | यह चुनाव तीन वर्षो के लिए होगा | चौथे वर्ष में पुनः चुनाव होगा | पुनः चुनाव होने पर कार्यकाल के नियम पूर्ववत रहेंगे |
उपरोक्त पदाधिकारीयों में से किसी के स्वर्गवास पर अथवा कार्य करने में अक्षम होने पर अथवा त्यागपत्र देने पर अथवा दिवालिया होने पर अथवा किसी कारण से निष्काषित किए जाने पर कार्यकारिणी को अधिकार होगा कि अपने में से किसी को शेष अवधि के लिए पदस्थापित करे।
उपाध्यक्ष के अधिकार एवं कर्त्तव्य
उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वे सभी कार्य करेंगे जो कि अध्यक्ष कर सकते है।
मंत्री के अधिकार एवं कर्त्तव्य
1) अध्यक्ष अथवा उपाध्यक्ष की राय से उनके द्वारा सौपे गए सभी कार्य करना जो न्यास के हित में हों।
3) कार्यकारिणी एवं आमसभा की कार्यवाही को ततसम्बन्धी पुस्तिकाओं में लिखना।
4) न्यास का हिसाब-किताब खर्चे आमदनी का हिसाब रखना रखवाना,उनकी देखरेख, वर्ष की समाप्ति पर वार्षिक आर्थिक प्रतिवेदन तैयार करना अथवा करवाना, हिसाब का अंकेक्षण कराना, अध्यक्ष की अनुमति एवं अनुमोदन से कार्यकारिणी की सभा एवं सदस्यों की आम सभा में प्रस्तुत करना एवं अनुमोदन कराना।
5) न्यास में आवश्यक कर्मचारियों की नियुक्ति करना, उनका वेतन निश्चित करना, उनको कार्य आवंटित करना, उनके काम की देखरेख करना, आवश्यकता पडने पर उनको हटाना, तत्सम्बन्धी विवादों का निपटारा करना आदि।
6) न्यास द्वारा अपने उद्देश्यों की पूर्ति में किए जाने वाले खर्चा का एवं न्यास के सामान्य खर्चो की स्वीकृति देना।
(8) अन्य वे सभी कार्य करना जो न्यास के प्रबन्ध में आवश्यक हो।
सहमंत्री को मंत्री की अनुपस्थिति में मंत्री के सभी अधिकार एवं कर्त्तव्य प्राप्त होंगे।
कोषाध्यक्ष के अधिकार एवं कर्त्तव्य
(1) न्यास के आय-व्यय एवं सम्पत्ति, लेनदारियों एवं देनदारियों का हिसाब रखना।
(2) आय सम्बन्धी रसीदें अपने हस्ताक्षरों से जारी करना।
(3) न्यास की देनदारियों का भुगतान अध्यक्ष अथवा मंत्री की अनुमति से करना एवं रसीदें प्राप्त करना।
(4) न्यास के धन में से 500,0/- कोष में रख कर बाकी को न्यास के बैंक खाते में जमा कराना।
(5) न्यास के वार्षिक हिसाब किताब तैयार कर उन्हे मन्त्री को अंकेक्षण के लिए पेश करना।
(6) अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के कार्य की देखरेख करना।
यह भी देखें :-
- मुख्य पृष्ठ
- ट्रस्ट का नाम
- ट्रस्ट का पता / प्रधान कार्यालय
- ट्रस्ट की शाखाये
- ट्रस्ट का कार्यक्षेत्र
- न्यास / ट्रस्ट के निर्माता / संस्थापक / न्यासकर्ता
- न्यास / ट्रस्ट का स्वरुप
- ट्रस्ट के लाभार्थी (Beneficiary)
- ट्रस्ट के ट्रस्टी
- ट्रस्ट के उद्देश्य – objectives
- न्यास का प्रबंध / प्रबंध कारिणी समिति / मैनेजमेंट कमिटी management committee
- ट्रस्ट का वित्तीय प्रबंधन
- न्यास की सभायें (Meetings)
- साधारण सदस्य
- न्यास के अन्य नियम
- न्यास के विधान, में संशोधन, परिवर्धन एवं परविर्तन – Amendments, additions and deletion in the trust deed
- न्यास की स्थापना – Initial works of trust
- अप्रतिहस्तांतरणीय – Irrevocable clause
- न्यास का समापन (Dissolution)
- अंतिम हस्ताक्षर
- जनरल नॉलेज